पिय मिलन श्रृंगार दर्पन , नदी की चंचलता धारा शाश्वत, सुष्मित हृदय जीवन शाश्वत, कंठ का स्वर पक्षी का कलरव, सूर्य किरण उजला मन, नौका विहार जल तरंग, दीपक की लौ प्रकाशित मन, सत्कर्म जीवन धर्म, सुगंध हारसिंगार का पुष्प । - आनन्द कुमार Humbles.in
पत्र - 01
विषय - अध्यापक के नाम पत्रतिथि - 24/01/2023
वार - मंगलवार
( मेरे जीवन में किसी एक ही अध्यापक का योगदान नही रहा, जिससे कि मैं केवल एक अध्यापक को ही पत्र लिखूँ, समय - समय पर हमारे सभी गुरुजनों ने हमारा मार्गदर्शन किया,
अत: मैं अपने सभी गुरुजनों को पत्र लिख रहा हूँ । )
सेवा में,
परम श्रद्धेय गुरुजन
सादर चरण स्पर्श
आज मैं आपको अपने ब्लाॅग "हम्बल" के माध्यम से पत्र लिख रहा हूँ, जो कि यह प्रथम अवसर है कि मैं आप सब के प्रति पत्र के माध्यम से अपनी श्रद्धा व्यक्त कर रहा हूँ । इससे पहले मैने आपको कभी भी पत्र नहीं लिखा, क्योंकि जब - जब हमें आपके मार्गदर्शन की आवश्यकता हुई, तब-तब आप सबने हमारे सिर पर सस्नेह हाथ रखकर अपने शुभाशीष से हमें अभिसिंचित किया ।
आप सब के सानिध्य में रहकर जो ज्ञान हमने अर्जित किया वह अतुल्यनीय है , और आज वही ज्ञान मैं अपने विद्यार्थियों तक
पहुँचा रहा हूँ ।
मेरे साइन्स के गुरुवर..... मैं आपसे बहुत ही ज्यादा प्रभावित रहा, आज मैं भी आपके पदचिन्हो पर चलकर साइन्स टीचर बना , आप अच्छे अध्यापक होने के साथ - साथ आप में अच्छे मानवीय गुण भी हैं , जिससे आप सदैव सभी विद्यार्थियों के पसंदीदा गुरु रहे ।
आप सबने हमारी उन्नति के लिए जो विशेष योगदान दिया, उसके लिए हम सदैव आपके आभारी रहेंगे। ईश्वर से यही कामना करता हूँ , कि आप सदैव स्वस्थ रहें, दीर्घायु हों ।
"प्रणाम" !!!
आपके आशीर्वाद का सदैव आकांक्षित
आपका छात्र
आनन्द कुमार
Humbles.in
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