तितली रानी, तितली रानी
तुम तो हो बड़ी सयानी ।
मैं दौड़ूं तो तुम उड़ जातीं,
ना जाने कितने खेल खिलातीं ।।
तुम तो हो मित्र हमारी, फिर हमें देखकर
क्यों उड़ जातीं ?
आओ प्यारी तितली आओ,
पुष्पों पर तुम मॅंडराओ ।
प्रकृति ने ना जाने कितने रंग दिये
उन रंगों को हमें दिखलाओ,
आओ प्यारी तितली आओ ।।
आओ हम सब मिलकर खेलें,
जीवन के पलों का "आनन्द" ले लें ।
कहीं ये बचपन बीत न जाए,
तुम्हारा साथ छूट न जाये
आओ हम सब मिलकर गाएं,
ये सुहाने बसंत सुहाये ।।
पीली सरसों पर तुम मितलातीं
तरह-तरह के राग सुनातीं ।
तुम्हें देख अलसी मुस्कायी,
मेरे आंगन "तितली रानी" आई
तुम्हें देख मन मेरा हर्षित होता,
कविता करने को मन करता ।।
- आनन्द कुमार
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