पिय मिलन श्रृंगार दर्पन , नदी की चंचलता धारा शाश्वत, सुष्मित हृदय जीवन शाश्वत, कंठ का स्वर पक्षी का कलरव, सूर्य किरण उजला मन, नौका विहार जल तरंग, दीपक की लौ प्रकाशित मन, सत्कर्म जीवन धर्म, सुगंध हारसिंगार का पुष्प । - आनन्द कुमार Humbles.in
फूलों के दर्द को किसी ने नहीं
समझा है,
लोगों ने उन्हें सिर्फ मुस्कुराते हुए
देखा है,
ये फूल गम में भी मुस्कुराने की
फिजा रखते हैं,
हमनें तो इन्हें काँटों में भी खिलते
हुए देखा है,
अपने वजूद को इन्होंने बचाकर
रखा है,
खुद टूटकर दो दिलों को मिलाकर
रखा है,
बिखेरते हैं खुशबू , दो दिलों के
बीच
इसलिए प्रेमियों ने इनका नाम
“गुलाब” रखा है ।।
– आनन्द कुमार
Humbles.in
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