पिय मिलन श्रृंगार दर्पन , नदी की चंचलता धारा शाश्वत, सुष्मित हृदय जीवन शाश्वत, कंठ का स्वर पक्षी का कलरव, सूर्य किरण उजला मन, नौका विहार जल तरंग, दीपक की लौ प्रकाशित मन, सत्कर्म जीवन धर्म, सुगंध हारसिंगार का पुष्प । - आनन्द कुमार Humbles.in
"एक शहीद फौजी का बेटा"
अपनी माँ से कुछ यूँ बोला -
शहीद हुये हैं,
सरहद पर पिता हमारे
अब मैं भी लड़ने जाऊँगा ।
चढ़कर दुश्मन की छाती पर
अपने पैरों तले रौंदकर ,
उनके टैंक नेस्तनाबूद कर
अंजाम तक पहुँचाऊँगा ।
तू चुप हो जा माँ,
मत रो माँ ,
खाता हूँ तेरी कसम माँ,
तेरा शीश नहीं झुकने दूँगा
अपनी मातृभूमि की रक्षा खातिर
सर्वस्व बलिदान कर जाऊँगा ।।
- आनन्द कुमार
Humbles.in
("धूप के दीप" नामक साझा 'काव्य संग्रह' में प्रकाशित)
श्री सत्यम प्रकाशन झुंझुनूं राजस्थान.
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