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सूक्ति -१

 पिय मिलन   श्रृंगार दर्पन , नदी की चंचलता   धारा शाश्वत, सुष्मित   हृदय  जीवन शाश्वत, कंठ का स्वर पक्षी का कलरव, सूर्य किरण   उजला मन, नौका विहार  जल तरंग, दीपक की लौ प्रकाशित मन, सत्कर्म  जीवन धर्म, सुगंध  हारसिंगार का पुष्प । - आनन्द कुमार  Humbles.in

सेरोगेसी : सेरोगेट माॅं

 आज के इस युग में विज्ञान ने इतनी तकनीकियाॅं विकसित कर

 दीं हैं, जिससे असम्भव कार्य भी सम्भव हो गये हैं ।

जिस भी क्षेत्र में देखो विज्ञान ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया

 है , चाहें कृषि क्षेत्र में देख लीजिए चाहें चिकित्सा क्षेत्र में, कहने

 का आशय है कि यह जो युग है, एक वैज्ञानिक युग है ।

एवं विज्ञान निरन्तर उपलब्धियाॅं हासिल करते जा रहा है ।

उन सभी उपलब्धियों में सेरोगेसी पद्धति को एक बड़ी उपलब्धि

 माना जा सकता है । 

जिसमें बाॅंझपन वाले दम्पतियों को अपनी सन्तान प्राप्ति का 

सुख सम्भव हो गया है ।

जिन स्त्रियों का गर्भाशय अल्प विकसित होता है, अथवा उनके

अण्डाशयों में अण्डा (Ova) नहीं बनता है, तो उनके लिए यह

जैव तकनीक किसी वरदान से कम नहीं है । सेरोगेसी पद्धति

को हम निम्न प्रकार से समझ सकते हैं -

अगर कोई स्त्री गर्भधारण में समर्थ नहीं है तो

 इन विट्रो फर्टिलाइजेशन और एम्ब्रियो ट्रांसफर टैकनिक 

( In Vitro Fertilisation And Embryo 

Transfer Technique ) द्वारा किसी दूसरी स्त्री के 

गर्भाशय में अण्डे ( Ova ) को निक्षेपित कर देते हैं, जहाॅं 

भ्रूण ( Embryo ) का वर्धन पूरा होता है ।

ऐसी स्त्री जिसमें किसी दूसरी स्त्री के भ्रूण का विकास 

कराया जाता है, सेरोगेट माॅं कहलाती है ।

तो इस जैव तकनीक के माध्यम से नि:सन्तान लोग अपनी

सन्तान की प्राप्ति कर सकते हैं ।

इसे किराये पर कोंख लेना भी कहा जाता है, क्योंकि कोई स्त्री

अपनी संतान प्राप्ति के लिए किसी दूसरी स्त्री की कोंख में

अपने बच्चे का पालन - पोषण करवाती है ।

इस प्रोसेस में DNA चेन्ज नहीं होता, क्योंकि जो स्त्री संतान 

चाहती है , परन्तु गर्भाशय पूर्ण विकसित नहीं है, तो यदि

अण्डाशय विकसित है तो जैव तकनीकी डाॅक्टर उस स्त्री 

से अण्डों को निकालकर और उसके पति के शुक्राणुओं को 

लेकर इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के प्रोसेस से निषेचन कराते हैं

तथा निषेचित अण्डे को 32 कोशिकीय अवस्था के बाद किसी

 दूसरी स्त्री के गर्भ में रोपित कर देते हैं ।

यदि ओवा या स्पर्म को किसी डोनर से लिया जाता है तो

DNA चेन्ज हो जाता है ।

कभी - कभी क्या होता है कि किसी स्त्री का गर्भाशय और

अण्डाशय दोनों अपरिपक्व होते हैं तो उस दशा में डोनर स्त्री से

 अण्डे को लिया जाता है  ।

आजकल इसका दुरुपयोग भी शुरू हो गया है, कई आधुनिक

महिलाएं, टेलीविजन कलाकार, सेलीब्रिटीज जो बच्चे तो

चाहतीं हैं पर अपना फीगर खराब नहीं करना चाहतीं, इस

दशा में वो सेरोगेसी का सहारा लेती हैं, जो कि कानूनन अपराध

 है । यह जैव तकनीक केवल उन्हीं दम्पतियों के लिए है जो

वास्तव में किसी न किसी शारीरिक कमी के कारण अपनी

संतानों को जन्म नहीं दे सकते हैं ।


- Anand Kumar

  Humbles.in






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