बाॅलीवुड की फिल्मों में एक चलन सा बढ़ता जा रहा है, कि हिन्दू देवी देवताओं का अनादर करना, आपत्तिजनक सीन डालना और हिन्दू भावनाओं को आहत करना, क्या ये जो डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, और एक्टरों को तनिक भी ज्ञान नहीं होता है कि जो हम फिल्मा रहे हैं, वो कहां तक उचित है । ऐसा कई फिल्मों में देखा गया चाहे अभी हाल की ही फिल्म आदिपुरुष को देख लो और चाहें पीके को । यदि आप ढूंढ़ने पर आ जायें तो ऐसी दर्जनों फिल्में मिल जायेंगी जिसमें हिन्दू देवी देवताओं का अनादर किया गया होगा और उनका मज़ाक बनाया गया होगा । मैं बाॅलीवुड के बाॅयकाट की बात नहीं करता, मैं भी बाॅलीवुड की फिल्मों को देखता हूं उन्हें पसंद करता हूॅं, परन्तु इस प्रकार की अभद्रता के खिलाफ हूं । मेरा मानना है कि इसके लिए सरकार को कुछ कड़े कदम उठाने होंगे, जो भी फिल्में धार्मिक भावनाओं/ आचरण के अन्तर्गत आती हैं, उनके लिए एक अलग बोर्ड की स्थापना होनी चाहिए और उसके अध्यक्ष के तौर पर किसी विद्वान धर्माचार्य को प्रतिष्ठित किया जाना चाहिए । आप कहेंगे फिल्मों के लिए बोर्ड तो है - सेंसर बोर्ड, तो सज्जनों यदि सेंसर बोर्ड अपना कार्य अच्छे से करता तो आ...