पिय मिलन श्रृंगार दर्पन , नदी की चंचलता धारा शाश्वत, सुष्मित हृदय जीवन शाश्वत, कंठ का स्वर पक्षी का कलरव, सूर्य किरण उजला मन, नौका विहार जल तरंग, दीपक की लौ प्रकाशित मन, सत्कर्म जीवन धर्म, सुगंध हारसिंगार का पुष्प । - आनन्द कुमार Humbles.in
वो पहला मिलन
वो पहली बरसात याद है न ,
वो साथ-साथ चलना
तुम्हारा रूठ जाना
फिर मेरा मनाना याद है न ,
सावन की रिमझिम बूंदों संग
वो तुम्हारा मचलना याद है न ,
वो बारिश का दिन
तुम्हारे साथ भीगना
वो ठण्डी हवा की सिहरन
कंपकपाते होंठ
वो पहला चुम्बन
तुम्हारा यूं मुझसे लिपट जाना याद है न ,
ले आगोश में
तुम्हें एकटक निहारना
आंखों में मचलती शरारतें
वो सारी बंदिशें भूल जाना याद है न ।।
- आनन्द कुमार
Humbles.in
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