ज्ञान एक ऐसा आभूषण है जो पहनता है दूर तलक जगमगाता है ।। - आनन्द कुमार
वो पहला मिलन
वो पहली बरसात याद है न ,
वो साथ-साथ चलना
तुम्हारा रूठ जाना
फिर मेरा मनाना याद है न ,
सावन की रिमझिम बूंदों संग
वो तुम्हारा मचलना याद है न ,
वो बारिश का दिन
तुम्हारे साथ भीगना
वो ठण्डी हवा की सिहरन
कंपकपाते होंठ
वो पहला चुम्बन
तुम्हारा यूं मुझसे लिपट जाना याद है न ,
ले आगोश में
तुम्हें एकटक निहारना
आंखों में मचलती शरारतें
वो सारी बंदिशें भूल जाना याद है न ।।
- आनन्द कुमार
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