भॅंवरा फूलों पर मंडरा कर
उसका रस ले जाता है,
घूम-घाम कर खेल-खाल कर
गुन-गुन-गुन गुंजन कर के,
सबका मन हर ले जाता है ।
कली-कली पर, बैठ-बैठ कर
मधु की बूॅंदों को चुनता जाता है,
वह श्याम रंग, वह प्रेम प्रसंग,
गुन-गुन कर के कलियों पर,
वह प्रेम स्वरों में कविता करता जाता है ।
वह दूर-दूर तक,
पुष्पों के पीलाम्बर क्षितिज तक
उड़ता जाता है,
वह स्वयं खुश होकर,
हमको खुशियाॅं दे जाता है ।
कभी भी हताश मत होना जीवन में
खुश रहना खुशियाॅं देना हर पल,
ऐसा संगीत गुनगुनाता जाता है ।
वह अपने असीम स्वरों में
जीवन के हर एक मोड़ में
"आनन्द" विभोर होकर,
जीवन जीने का सजल संदेश दे जाता है ।
- आनन्द कुमार
Humbles.in
( "धूप के दीप" नामक साझा 'काव्य संग्रह' में प्रकाशित )
श्री सत्यम प्रकाशन झुंझुनूं राजस्थान.
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