इश्क़ का दीदार और
प्यार पर ऐतवार
अब न रहा ,
उलझनों के साये और
बेसुध ज़िन्दगी
छोड़ दी मैंने ,
टूटते तारों को देखकर
उनकी सलामती की दुआ मांगना
ये पागलपन
अब न रहा ।
जो रंजिशें की थीं उनके लिए
अपने यारों से , अपने परिवारों से
वो बिखरी ज़िंदगी को आज मैं संवार आया ,
इश्क़ लड़ाना , दीदार करना ,
वो चिट्ठी लिखना
और चैट करना
फुजूल समझने लगा हूॅं
वो सारे ख़त वो सारी यादें
आज श्मशान में छोंड़ आया ।
मोहब्बत अब वो मोहब्बत न रही
व्यापार हो गया
जिसने अच्छे से किया
वह मालामाल हो गया ,
वो लिपिस्टिक
अरे वो पाउडर दिला दो न
अच्छे कपड़े वो ब्रांडेड घड़ी
हाथों पर सजा दो ना
जिस रईसजादे के पास यह कोकिल रही
वह कंगाल हो गया ।
सच्ची मोहब्बत तो लैला-मजनू
शिरीन-फरहाद की सुनी है
न जमाने का खौफ
न कुछ खो जाने का डर
न कुछ पाने की लालसा
बस वो बहते गये प्रेम में और
भीगते गये प्रेम में ,
प्रेम क्या होता है
ये राधा-कृष्ण ने बताया
मीरा हो बावरी
प्रेम को गाया
राणा ने विष दिया
जान अमृत पिया
ऐसा सुनने में आया ।।
- आनन्द कुमार
Humbles.in
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