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 पिय मिलन   श्रृंगार दर्पन , नदी की चंचलता   धारा शाश्वत, सुष्मित   हृदय  जीवन शाश्वत, कंठ का स्वर पक्षी का कलरव, सूर्य किरण   उजला मन, नौका विहार  जल तरंग, दीपक की लौ प्रकाशित मन, सत्कर्म  जीवन धर्म, सुगंध  हारसिंगार का पुष्प । - आनन्द कुमार  Humbles.in

एंडेंजर्ड एनिमल एवं हमारी प्राकृतिक संपदा का विनाश

एंडेंजर्ड एनीमल -

प्राय: एंडेंजर्ड एनिमल उन्हें कहते हैं, जो विलुप्ति की कगार पर हैं , अथवा विलुप्त हो चुके हैं , एवं जो जंतु एंडेंजर्ड होते हैं उनका "रेड डाटा बुक" नामक पुस्तक में समावेश किया जाता है । एनिमल्स के एंडेंजर्ड होने में सबसे बड़ा हाथ मानव का ही है जो अपने आमोद प्रमोद के लिए वन्य प्राणियों को क्षति पहुंचाता हैं । 

वन्य प्राणियों के एंडेंजर्ड होने के कुछ कारण निम्नलिखित हैं -

Like as - प्रतिकूल वातावरण, रासायनिक हस्तक्षेप और शिकार ।

उपर्युक्त में से एनिमल्स के एंडेंजर्ड होने में सबसे बड़ा हाथ शिकार का ही है । 

भारत में सबसे ज्यादा एनिमल्स एंडेंजर्ड होने का कारण शिकार ही है, जो हम अब इस अवस्था तक पहुंच चुके हैं ।

Means to say that - प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने से इकोसिस्टम पर बुरा प्रभाव पड़ा है, और हमारे सामने अनेक समस्याएं आ खड़ी हुई हैं ।

यह सर्व ज्ञात है, कि हमारे देश में प्राचीन काल से ही शिकार एक आमोद प्रमोद का एकमात्र साधन रहा है, कभी मनुष्य ने अपने हित के लिए शिकार किये ।

Like as- भोजन, तन ढकने के लिए और सजावटी वस्तुओं के लिए और कभी सिर्फ अपना आनंद प्राप्त करने अथवा बहादुरी का दिखावा करने के लिए ।

राजा-महाराजाओं द्वारा आखेट -

पहले राजा - महाराजाओं के शासन काल में राजाओं को सिर्फ आखेट करना ही उनकी हॉबी हुआ करती थी, और राजा आखेट इसलिये करते थे, कि उन्हें आनंद प्राप्त हो और उनकी बहादुरी भी सिद्ध हो सकें ।

अंग्रेजों द्वारा हमारी प्राकृतिक सम्पदा का हनन -

हमारी प्राकृतिक संपदा को सबसे अधिक अंग्रेजों ने क्षति पहुंचाई थी । उन्होंने बड़ी मात्रा में अपने हित के लिए हमारे वन्य प्राणियों का वध किया था । जिसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है । वह ऐसे कि उस समय का बिगड़ा हुआ 

इकोसिस्टम अभी तक सम्भल नहीं पाया है ।

अंग्रेजों के शासन काल में -

जब हमारे देश में अंग्रेजों का राज्य था, अंग्रेजों ने सबसे बड़ी संख्या में हमारे वन्य प्राणियों का दमन किया ।

सबसे पहले जॉर्ज पंचम ने बड़ी संख्या में भारतीय शेरों, बाघों 

 तेंदुओं का शिकार किया ‌। जॉर्ज पंचम उस समय भारत के वायसराय थे ।

इनके बाद लिलिन्थिगो नामक वायसराय ने सबसे बड़ी क्रूरता का परिचय दिया ।

उसने अपनी बहादुरी सिद्ध करने के लिए बहुत से सिंह परिवारों का संघार किया।

सने एक बार अपने शिकारी दोस्तों के साथ एक जंगल को चारों तरफ से घेर लिया था, जो शिकारी हाथियों पर सवार होकर आए थे। उन्होंने उस जगह पर सफेद कपड़ो से जाल बिछाया था जहां पर शेर, चीता , बाघ इत्यादि प्राणी बहुतायत की संख्या में मिलते थे, और स्वयं शिकारियों के समूह के साथ वन्य प्राणियों पर गोलियां बरसाईं ।

 जिसमें लगभग 21 से ज्यादा शेर, बाघ, तेंदुए और गैंड़े भी शामिल थे । इसने शिकार करने में जॉर्ज पंचम को भी पीछे छोड़ दिया था ।

अंग्रेजों की क्रूरता सिर्फ यही तक नहीं रुकी आगे चलकर इसने एक बड़ा रूप ले लिया था । 

सांड़ों का शिकार करके एक विशेष संरचना बनबाते थे -

सन् 1936 के बाद अंग्रेजों ने बहुत से सांड़ों का शिकार करवाया और उनकी खाल को निकलवाकर और उसे चारों ओर से सिलवाकर बैलून शेप्ड स्ट्रक्चर बनाते थे, और फिर उसमें मुंह से हवा भरवाते थे । इस काम के लिए भारतीय नौकरों को रखा जाता था । एक बार में दो आदमी सदैव उसमें अपने मुंह से हवा भरते रहते थे ।

जब यह स्ट्रक्चर हवा भर के तैयार हो जाता था, फिर उस पर कुर्सियां सजवायी जाती थीं, और इस स्ट्रक्चर को झीलों में उतरवाया जाता था । फिर अंग्रेज अफसरों के परिवार उन पर बैठकर पिकनिक मनाया करते थे ।

तो इस प्रकार से हमारी वन्य सम्पदा का धीरे-धीरे हनन होता रहा । 

अब हमारे देश में शिकार पर प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन फिर भी बहुत से क्रूर शिकारी अब भी शिकार कर रहे हैं ।

क्यों होता है जीव जन्तुओं का शिकार -

हाथियों का हाथी दांत के लिए, शेर, बाघों, तेंदुओं इत्यादि का खाल के लिए , सर्पों का विष एवं चमड़ी के लिए, खरगोश, हिरन इत्यादि का मांस एवं खाल के लिए लगातार शिकार किया जा रहा है ।

हमारी भारत सरकार ने इसके लिए कठोर कदम उठाए हैं , और कई एनीमल एक्ट लगाये हैं ।

हमारे इकोसिस्टम पर सीधा प्रभाव -

हम सबको इसके प्रति जागरूक होना होगा, और जीवों को बचाना होगा । वनों को काटने से रोंकना होगा । ताकि हमारे वन्य प्राणियों को संरक्षण प्राप्त हो सके , वो अपने कुल को बढ़ा सकें । क्योंकि वन सम्पदा नष्ट होने से इन्हें अपने स्थानों से विस्थापित होना पड़ता है , और इसका सीधा प्रभाव इनकी आने वाली संतानों पर पड़ता है । हमें अपनी प्राकृतिक संपदा को बचाने के लिए गम्भीर होना होगा , यदि मानव अब भी न सुधरा , तो आने वाले समय में हमारा इकोसिस्टम बर्बाद हो जायेगा ।

जिसके लिए मनुष्य को एक बड़ी क़ीमत चुकानी होगी ।


- आनन्द कुमार 

Humbles.in


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