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 पिय मिलन   श्रृंगार दर्पन , नदी की चंचलता   धारा शाश्वत, सुष्मित   हृदय  जीवन शाश्वत, कंठ का स्वर पक्षी का कलरव, सूर्य किरण   उजला मन, नौका विहार  जल तरंग, दीपक की लौ प्रकाशित मन, सत्कर्म  जीवन धर्म, सुगंध  हारसिंगार का पुष्प । - आनन्द कुमार  Humbles.in

नये संसद भवन एवं सेंगोल की पूरी गाथा



हमारा नया संसद भवन -

आज भारत हर्षोल्लास के साथ नये संसद भवन की बधाई ले रहा है,

 आज भारत के लिए गौरव का दिन है, यह एक ऐतिहासिक क्षण है ।

वैभवशाली, गौरवशाली नये संसद भवन को 28 मई 2023 को

 माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश को समर्पित कर दिया,

 यह ढाई साल में बनकर तैयार हुआ । 


नये संसद भवन में प्रधानमंत्री जी ने पवित्र सेंगोल की पूजा-अर्चना

 की और फिर इसे संसद भवन में स्थापित कर दिया ।



पवित्र सेंगोल भारत के न्याय, निष्पक्षता, संप्रभुता, एवं सामर्थ्य का

 प्रतीक है । 

हमारे देश का लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, यह

 धर्मनिरपेक्षता और अखण्डता को दर्शाता है, यह सभी के लिए

 समानता का भाव रखता है । संसद भवन कर्म और राष्ट्र के उत्थान

  के लिए समर्पित होता है ।



नये संसद भवन के कुछ रोचक तथ्य - 

1. संसद के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा को भदोही की

    विश्व प्रसिद्ध कालीन से सजाया गया है ।

2.  900 / कारीगर 2 सालों से बना रहे थे संसद भवन के लिए

     कालीन । 

3. कारीगरों ने करीब दस लाख घण्टों तक इन कालीनों की 

    बुनाई की ।

4. नये भवन में लगने वाले सामान को चुन-चुनकर पूरे भारत से

    मंगवाकर लगवाया गया है ।

5. हमारे मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने इसके बारे में कहा

   कि - एक भारत - श्रेष्ठ भारत की समेकित तस्वीर है नया संसद

   भवन ।

6. नये संसद भवन का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्रीजी श्री नरेन्द्र मोदी

   जी के हाथों हुआ । इसका विरोध कई पार्टियों ने किया, इन दलों में

    कांग्रेस, डी.एम.के.,आप,सपा आदि प्रमुख हैं ।

7. नये संसद भवन में पवित्र सेंगोल को भी स्थापित किया गया ।

8. सेंगोल तमिल शब्द सम्मई व कोल से मिलकर बना है ।

    जिसका शाब्दिक अर्थ न्याय होता है ।

9. तमिल राजाओं के पास ये सेंगोल होते थे, जिसे अच्छे शासन का

    प्रतीक माना जाता था ।

10. सेंगोल एक स्वर्ण परत वाला राजदंड है ।

11. सेंगोल के शीर्ष पर नंदी महराज की नक्काशी की गयी है ।

12. नंदी हमारे हिन्दू धर्म में एक पवित्र पशु है, और भगवान शिव का

      वाहन है । इसे धर्म के प्रतीक के रूप में देखा जाता है ।



सेंगोल का इतिहास व वर्तमान -

सेंगोल एक स्वर्ण परत वाला राजदंड है, जिसे 28 मई 2023 को

 भारत के नये संसद भवन में भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र

मोदी ने स्थापित किया । इसका इतिहास चोल साम्राज्य से जुड़ा हुआ

 है । सेंगोल जिसको सौंपा जाता है, उससे न्यायपूर्ण शासन की

अपेक्षा की जाती है ।


सन् 1947 में हमारे देश भारत के आजाद होने के समय तत्कालीन

 वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत गणराज्य के प्रथम प्रधानमंत्री

 पंडित जवाहरलाल नेहरू को सेंगोल सौंप दिया था । 



सेंगोल सोने और चांदी से बना हुआ है, इसकी लम्बाई पांच फीट है,

और इसके शीर्ष पर नंदी महराज विद्यमान हैं ।

चोल साम्राज्य में राजदंड का प्रयोग सत्ता हस्तांतरण को दर्शाने के

 लिए किया जाता था, उस समय पुराना राजा नये राजा को सेंगोल

 सौंपता था ।



सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में सेंगोल सौंपा जाए, ऐसा परामर्श

श्री सी राजगोपालाचारी जी ने दिया था ।

अधीनम के नेता ने वह सेंगोल पहले लार्ड माउंटबेटन को दिया, फिर

उनसे वापस लेकर 15 अगस्त सन् 1947 की तिथि प्रारम्भ होने से

पहले ही स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू

 जी को दे दिया ।

इसके बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने सेंगोल को इलाहाबाद

 (वर्तमान प्रयागराज) के संग्रहालय में रखवा दिया ।

अब 28 मई सन् 2023 को वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने

 पवित्र सेंगोल को संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के

 ठीक निकट स्थापित कर दिया ।


- आनन्द कुमार

 Humbles.in



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